रांची. रघुवर सरकार प्रारंभ से ही आदिवासी, दलित व गरीब विरोधी रही है। राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर ऐसे कई कदम उठाए जाते रहे हैं जो जनविरोधी व गरीब विरोधी रहा है। कई मौकों पर झारखंड सरकार का चेहरा बेनकाब भी होता रहा है। ताजा वाकया लोक मंथन कार्यक्रम से जुड़ा हुआ है। रांची में इसका आयोजन हो रहा है, यह स्वागत योग्य है परंतु इसका दूसरा पहलू आदिवासी समाज के प्रति सरकार के नजरिये को दर्शाने के लिए पर्याप्त है।
उन्होंने कहा कि आंध्रप्रदेश सहित कई प्रदेशों में इस मद की राशि किसी दूसरे मद में खर्च करने का प्रावधान नहीं है। आज झारखंड में भी ऐसे ही प्रावधान की सख्त जरूरत है। रघुवर सरकार प्रारंभ से ही आदिवासी, दलित व गरीब विरोधी रही है। राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर ऐसे कई कदम उठाए जाते रहे हैं जो जनविरोधी व गरीब विरोधी रहा है। कई मौकों पर झारखंड सरकार का चेहरा बेनकाब भी होता रहा है। ताजा वाकया लोक मंथन कार्यक्रम से जुड़ा हुआ है। रांची में इसका आयोजन हो रहा है, यह स्वागत योग्य है परंतु इसका दूसरा पहलू आदिवासी समाज के प्रति सरकार के नजरिये को दर्शाने के लिए पर्याप्त है।
झारखंड में ट्राइबल बहुतायत संख्या में हैं जो शिक्षा, स्वास्थ्य, कुपोषण, बेरोजगारी, गरीबी, पलायन सहित तमाम समस्याओं से जूझ रहे हैं, ऐसे में इनके विकास के मद का पैसा दूसरे मद में खर्च करना अनुचित है। झारखंड सरकार द्वारा खेलगांव में विगत 27 सितम्बर से 30 सितम्बर तक लोक मंथन कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। इस आयोजन में व्यय हो रहे चार करोड़ की राशि ट्राइबल सब-प्लान की है। हम इसकी निंदा करते हैं।
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