{content: ट्रेन से सफर करना पहले की अपेक्षा अब ज्यादा सुरक्षित हो गया है। आंकड़ों पर गौर करें तो दो सालों के दौरान ट्रेन एक्सीडेंट के मामलों में चार गुना की कमी आई है। सितंबर 2017 से अगस्त 2018 तक छोटे-मोटे हादसों को छोड़ दिया जाए तो एक भी बड़ी रेल दुर्घटना नहीं हुई है। ये दावा रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्विनी लोहानी ने किया है। 12 महीनों की सेफ्टी परफॉर्मेंस रिव्यू मीटिंग के बाद लोहानी ने दैनिक भास्कर से विशेष बातचीत में बताया कि एक साल के दौरान रेलवे ने सेफ्टी को प्राथमिकता दी। ट्रैक री-न्यूअल, मेंटेनेंस और अपग्रेडेशन पर ज्यादा फोकस किया गया। यही वजह है कि ट्रेन एक्सीडेंट में जबरदस्त कमी आई है।
हालांकि, यह भी स्वीकार किया कि देशभर में समय से ट्रेन परिचालन मेंटेन नहीं कर सके। इसका कारण ट्रैक मेंटेनेंस के लिए ज्यादा से ज्यादा ब्लॉक किया जाना है। ट्रेनें लेट होने पर यात्रियों की आलोचनाएं भी सहने पड़े हैं। वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए हुई इस सेफ्टी मीटिंग में दक्षिण-पूर्व रेलवे के जीएम पीएस मिश्रा सहित देशभर के जीएम मौजूद थे।
वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए देश भर के जीएम से बैठक करते रेलवे बोर्ड के चेयरमैन लोहानी।
ट्रैक अपग्रेडेशन पर दिया जा रहा ज्यादा ध्यान, ट्रेनें समय से की जा रहीं रवाना
लोहानी ने कहा कि रेलवे का उद्देश्य यात्रियों को सुरक्षित घर तक पहुंचाने का है। इसी तर्ज पर काम किया जा रहा है। सेफ्टी पर ध्यान देने के कारण यात्री सुरक्षित सफर कर रहे हैं। रेलवे द्वारा ट्रैक अपग्रेडेशन पर ज्यादा ध्यान देने के कारण अब समय से ट्रेनेें गंतव्य के लिए रवाना हो रही हैं और गंतव्य तक पहुंच भी रही हैं। पटरी दुरुस्त किए जाने के कारण पहले की अपेक्षा रेलगाड़ियों की स्पीड भी बढ़ी है। पहले पटरियां पूरी तरह दुरुस्त नहीं होने के कारण बार-बार ब्लॉक लिया जाता था, जिससे ट्रेनों के रूट डायवर्ट कर दिए जाते थे, जो ट्रेनों के विलंब होने का मुख्य कारण था।
काफी कम ब्लॉक दिए जाने के कारण रांची डिविजन बन सका नंबर वन
चेयरमैन लोहानी ने कहा कि रांची रेल डिविजन के लगभग सभी सेक्शन में नई रेल पटरी बिछा दी गई है। पहले की तुलना में अब काफी कम ब्लॉक दिया जा रहा है। यही कारण है कि समय से ट्रेनों के परिचालन में रांची मंडल देशभर में पहले पायदान पर खड़ा हो सका है। पहले ट्रैक मेंटेनेंस के लिए लंबा ब्लॉक लेना पड़ रहा था। इस कारण ट्रेनें चार से पांच घंटे तक लेट चल रही थीं। लेकिन पटरियों में सुधार आने के कारण स्थितियां पहले से काफी बेहतर होती जा रही हैं और ट्रेनों की स्पीड को मेंटेन रखना संभव हुआ है।
04 गुना कम हुईं दुर्घटनाएं
01 सितंबर 2016 से 31 अगस्त 2017 तक 249 यात्रियों की मौत,
1 सितंबर 2017 से 31 अगस्त 2018 तक 40 यात्री मरे
2016-2017 में 514 यात्री घायल हुए, जबकि
2017-2018 तक केवल 57 यात्री घायल हुए
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