{content: रिम्स के डेंगू वार्ड में आ रहे डेंगू चिकनगुनिया से पीड़ित मरीजों के लिए अभी भी खतरा बना हुआ है। डेंगू वार्ड के आसपास साफ-सफाई का होना अनिवार्य है, क्योंकि गंदगी से मच्छरों का खतरा और अधिक बढ़ जाता है। वहीं वार्ड में मरीजों के लिए बने बाथरूम में कचड़ा और गंदा पानी कई दिनों से जमा हुआ है। इसमें डेंगू व चिकनगुनिया के लार्वा पनपते हैं।
वार्ड में भर्ती मरीजों ने बताया कि दो टॉयलेट हैं। इसमें से एक में हमेशा पानी जमा रहता है, सीवरेज खराब होने से पानी की निकासी नहीं होती है। इसके कारण सारे मरीजों एक ही टॉयलेट यूज करने की मजबूरी हैं।
वहीं जमे हुए गंदे पानी और कूड़े की वजह से यहां के भर्ती मरीज बदबू से परेशान हैं। वहीं वार्ड के अन्य बेसिन में पानी का कनेक्शन नहीं है। हालांकि मरीजों को स्वच्छ माहौल देने के लिए पूरे वार्ड की सफाई की जाती है, लेकिन बाथरूम में जमे पानी और कूड़ों की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है।
जमे हुए गंदे पानी और कूड़े की वजह से मरीज बदबू से परेशान हैं।
वार्ड के तीन बेसिन में पानी का कनेक्शन नहीं
डेंगू वार्ड के तीन रूम में पिछले तीन महीनों से पानी नहीं आ रहा है। इसमें मरीजों के लिए लगे बेसिन , रूम नंबर 1 और 3 शामिल हैं। पानी के कनेक्शन को दुरूस्त करने के लिए सिस्टर इंचार्ज द्वारा पीएचडी को लिखित आवेदन भी दिया गया है। लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके अलावा रिम्स उपाधीक्षक से बात करने पर जूनियर इंजीनियर से संपर्क करने को कहा। जूनियर इंजीनियर को जानकारी देने के बावजूद कनेक्शन ठीक नहीं किया गया है। अभी रिम्स के डेंगू वार्ड में 105 डेंगू के और 36 चिकनगुनिया के मरीज हैं । गुरुवार को 9 डेंगू और 4 चिकनगुनिया के मरीजों को भर्ती किया गया है।
भर्ती के इंतजार में फर्श पर पड़ी हैं जमुना देवी
जमुना देवी को रिम्स के आर्थो वार्ड में कई दिनों से भर्ती करने के लिए मिन्नतें कर रही हैं। वह कई दिनों से वार्ड के सामने फर्श पर पड़ी हुई हैं। कुछ दिन पहले उनका पैर रिम्स में दवा खरीदने के दौरान फ्रैक्चर हो गया था। डॉ.एलबी मांझी की देखरेख में उसका इलाज चल रहा है। जमुना ने बताया कि वह रिम्स के रैन बसेरा में रहती थी। रांची में कोई परिचित नहीं है और बहन के अलावा परिवार में कोई भी नहीं है। यहां कैंटीन में सालों से काम करती थी। लेकिन कुछ दिन पहले बुखार की दवा लेने के लिए दवाई दोस्त दुकान पर गई थी। वहीं भीड़ में धक्का-मुक्की के कारण गिरने से पैर में चोट आ गई। रैन बसेरा में जिस कमरे में रहती थी, वहां रहने नहीं दे रहे हैं। कहते हैं कि किसी और को कमरा दे दिया गया है। अगर रहना हो तो रोज के 50 रुपए लगेंगे। वहीं आर्थो वार्ड में भी भर्ती करने से मना कर दिया है। विभाग के कर्मचारियों से भर्ती नहीं करने पर पूछा गया तो, उन्होंने बताया कि क्योंकि उनका पैर टूटा नहीं है, सिर्फ फ्रैक्चर है। इसलिए उन्हें बस कुछ महीनों का बेड रेस्ट चाहिए। इसके लिए एडमिट होने की जरूरत नहीं है।
अन्य वार्डों के बाथरूम बदहाल
रिम्स के विभिन्न वार्डों में भी बाथरूम की बदहाली से मरीज परेशान हैं। मरीजों ने बताया कि एक तो बाथरूम में गंदगी है। दरवाजा टूटा हुआ है और कभी कभी पानी नहीं अाता है। इसकी वजह से काफी समस्या होती है। वार्ड की छत से पानी भी गिरता रहता है।
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