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28 Eylül 2018 Cuma

राजधानी के मेडिकल स्टोर बंद रहे, मरीज व परिजन रहे परेशान

{content: झारखंड फार्मेसी काउंसिल द्वारा बिहार फार्मेसी काउंसिल से निबंधित फार्मासिस्टों का निबंधन रद्द करने और सेंट्रल गवर्नमेंट के प्रस्तावित ई-फार्मेसी बिल के विरोध में झारखंड केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन द्वारा की गई हड़ताल से मरीजों का दर्द और बढ़ा गया। शहर में केमिस्टों की हड़ताल से शुक्रवार को सभी मेडिकल स्टोर बंद रहे। दवा खरीदने के लिए मरीज के परिजनों को दर-दर भटकना पड़ा। राज्य के सरकारी अस्पताल रिम्स और सदर की ओपीडी में आए हजारों मरीजों को दवाएं लेने के लिए परेशानी हुई। सरकारी अस्पताल के मेडिकल स्टोर में मरीजों को डॉक्टरों द्वारा लिखी कुछ दवाईयां तो मिली, लेकिन कुछ दवाइयों के लिए प्राइवेट मेडिकल स्टोर की तरफ रूख करने को मजबूर थे। ऐसे में बाहर के मेडिकल बंद होने से दूरदराज से आए मरीजों परेशानी झेलनी पड़ी। केमिस्टों की हड़ताल से सरकारी तौर पर न होने वाले लेबोरेटरी टैस्ट भी बाहर से नहीं हो सके और न ही मरीजों को एमरजेंसी समय पर मिलने वाली दवा मिली।

रिम्स व सदर में खुली थी दुकान, लेकिन स्टॉक ना होने से मरीज रहे परेशान

राज्य के दो बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स और सदर की दवा दुकानें खुली थी। मरीजों के हितों को देखते हुए सरकारी अस्पताल के अंदर चल रहे मेडिकल स्टोर इस हड़ताल के दायरे में नहीं रहे। इसके बावजूद अस्पतालों में अधिक भीड़ और दवा दुकानें बंद होने का असर दिखा। कई मरीज और परिजन दवा लेने के लिए काउंटर पर घंटों खड़े रहे। कुछ लोग तो बिना दवाएं लिए ही लौट गए। कुछ मरीजों को कम दवाएं ही मिलीं। हड़ताल के कारण ओपीडी में आए मरीजों को प्राइवेट तौर पर दवा नहीं मिली।



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