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29 Eylül 2018 Cumartesi

गीता के रहस्य समझ गए तो हताशा आनंद में बदलेगी

{content: मानव जीवन एक कुरुक्षेत्र है, जिसमें भ्रूणावस्था से ही संघर्ष चलता रहता है। व्यावहारिक जीवन में इस पर विजय पाने का ज्ञान श्रीमद्भगवतगीता में वर्णित है। इस गूढ़ रहस्य को जो समझ जाता है, वही ज्ञानी है। इसी से संबंधित 'जीवन के कुरूक्षेत्र में विजयी कैसे बनें' विषयक दो दिवसीय व्याख्यानमाला शनिवार को योगदा आश्रम में आरंभ हुई। स्वामी ईश्वरानंद ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि हर हताश व्यक्ति अर्जुन है, लेकिन वह गीता के रहस्यों को समझ जाए तो उसकी हताशा आनंद में बदल जाएगी। महर्षि व्यास द्वारा रचित महाभारत को इतिहास के रूप में जाना जाता है। युद्ध शुरू होने के ठीक पहले अर्जुन अपना गांडिव यह कहकर रख देते हैं कि अपनों से कैसा युद्ध? उनके सारथी बने श्रीकृष्ण युद्ध की वास्तविकता बताते हैं। तब अर्जुन का मोह टूटता है। श्रीकृष्ण-अर्जुन संवाद 700 श्लोकों में वर्णित है, जिसे हम गीता कहते हैं। महाभारत और गीता को केवल इतिहास की तरह देखने के बजाय जीवन की सच्चाई के रूप में समझना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि हमें यह समझना ही होगा कि भ्रूण के रूप में, बालपन और किशोरावस्था तथा जीवन के हर कदम पर हम कैसे महाभारत या युद्ध या संघर्ष का सामना करते हैं। हम वर्तमान में जीवित हैं, इसका स्पष्ट मतलब है कि हम तमाम संघर्षों में विजयी होते रहे हैं। हम अर्जुन स्वरूप हैं।



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