{content: रांची के कांके प्रखंड में बनने वाले ट्रिपल आईटी के लिए जमीन अधिग्रहण किया जा रहा है। इनमें सांगा गांव निवासी सोमरा मुंडा, केसा मुंडा और छेदिया मुंडा (तीनों भाई) को करीब 6 करोड़ रुपए का मुआवजा मिलना है। वहीं, एक अन्य रैयत को भी करीब दो करोड़ मुआवजा मिलेगा। इनको मिलने वाली राशि दलाल हड़पने की फिराक में हैं। इसकी सूचना मिलने पर रैयतों को ठगी से बचाने के लिए जिला भू-अर्जन पदाधिकारी (डीएलओ) सीमा सिंह ने मालश्रृंग के मुखिया, पूर्व मुखिया और इलाहाबाद बैंक, कांके रोड के पदाधिकारी को बुधवार को अपने कार्यालय बुलाया था। रैयतों को समझाया। तब रैयतों ने मिलने वाली मुआवजा राशि को एफडी करने का अनुरोध किया। इनको मिलने वाली मुआवजा राशि को एफडी करने का निर्णय लिया गया। वहीं, एक अन्य रैयत को भी जल्द कार्यालय बुलाकर उनसे अनुरोध पत्र लिया जाएगा। ताकि, इनको मिलने वाली दो करोड़ की राशि को एफडी कराया जा सके। इसकी जानकारी रैयत के सिंह मोड़ स्थित आईडीबीआई बैंक के मैनेजर को दे दी गई है। भू-अर्जन पदाधिकारी सीमा सिंह ने बताया कि ऐसी शिकायत मिली थी कि रैयतों को मिलने वाली राशि पर दलालों की नजर है। इसलिए, इनके पैसों की सुरक्षा को लेकर इनके अनुरोध पर बैंक में एफडी कराने का निर्णय लिया गया है।
नामकुम के बैंक में खुलवाया दिया था खाता
रैयतों के गांव सांगा से करीब 20 किमी से अधिक दूर नामकुम अंचल के बरगांवा स्थित आईडीबीआई बैंक में तीन रैयत और इसी बैंक के सिंह मोड़ शाखा में एक रैयत का खाता खुलवाया गया है। इन खातों के माध्यम से दलाल आसानी से ठगी कर सकते हैं। मजेदार बात यह है कि रैयतों को पता तक नहीं था कि कितना पैसा निकाल लिया गया। मालूम हो कि पहले भी वर्ष 2017 में 1.20 करोड़ रुपए तीनों भाईयों को मुआवजा राशि मिली थी।
मुआवजा देने के लिए फंड नहीं था, इसलिए पूरा भुगतान नहीं हुआ
कांके प्रखंड में ट्रिपल आईटी का निर्माण के लिए सरकार ने 2013-2014 में ही प्रपोजल तैयार किया था। इसके तहत 14.40 एकड़ जमीन अधिग्रहित हुई, जिसमें लिए 26.49 करोड़ का भुगतान किया जाना था। वर्ष 2016 से भुगतान की प्रक्रिया शुरू हुई। लेकिन, फंड नहीं होने के कारण रैयतों को पूरी मुआवजा राशि नहीं मिल पाई। करीब 16 करोड़ रुपए का भुगतान किया जाना बाकी है। इधर, 15 दिन पूर्व ही केंद्र से भुगतान के लिए फंड दे दिया गया है। इसकी जानकारी दलालों को भी मिल गई और वे सक्रिय हो गए। वहीं, जिला भू-अर्जन कार्यालय की जिम्मेदारी रैयत के अकाउंट में पैसा भेजे जाने के बाद खत्म हो जाती है। लेकिन, दलाल सीधे-साधे रैयतों को नहीं ठग पाए, इसलिए बड़े अमाउंट पाने वाले रैयतों से अनुरोध पत्र लेकर उनकी राशि एफडी कराने का निर्णय लिया है।
दलालों के सक्रिय होने पर उठाया यह कदम
तीनों भाईयों को मिलने वाली मुआवजा राशि के पीछे दलाल और भू-अर्जन कार्यालय के लोगों की मिलीभगत से कांके स्थित इलाहाबाद बैंक से आरटीजीसी-एनईएफटी या अन्य माध्यम से राशि निकालने की आशंका मालश्रृंग के पूर्व मुखिया लक्ष्मण मुंडा ने जताई थी। इसको लेकर उन्होंने डीएलओ को पत्र लिखा था कि तीनों रैयतों का कहना है कि दलाल उन्हें बहकाकर बैंक ले जाते हैं और धोखाधड़ी करते हैं।
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