रांची. झारखंड बिजली वितरण निगम द्वारा 2019-20 के लिए प्रस्तावित नए बिजली टैरिफ पर नियामक आयोग स्टेट एडवाइजरी कमेटी की बैठक चेयरमैन अरविंद प्रसाद की अध्यक्षता में हुई। बैठक में बिजली एवं बिजली बिल सिस्टम पर कई गंभीर सवाल खड़े किए गए और नए प्रस्तावित बिजली टैरिफ का विरोध किया गया। ग्रामीण क्षेत्र से आई महिला हेमलता उरांव ने बिजली व्यवस्था की पोल खोल कर रख दी।
उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में 2017 से ही लगातार बिजली दर में बढ़ोतरी की जा रही है। गांव में दिन में बिजली एक दो घंटे ही रहती है। जबकि रात में सोने के बाद बिजली आती है। क्या गांव के लोग इंसान नहीं है। क्या गांव के लोग व्यापार नहीं करते हैं। क्या गांव के बच्चे पढ़ाई नहीं करते हैं। जब उन्हें बिजली ही नहीं मिलेगी तो वह भारी भरकम बिजली बिल एवं फिक्सड चार्ज क्यों दें। ग्रामीण क्षेत्रों का बिजली दर क्यों बढ़ना चाहिए।
ग्रामीण विद्युतीकरण के हाल बयां करते हुए उन्होंने कहा कि बिजली के खंभे लगा दिए गए, ट्रांसफार्मर लगा दिए गए, घर में मीटर भी लगा दिए गए, मगर बिजली ही नहीं आई। शहर में एक फ्यूज बनने में 2 से 3 घंटे लगते हैं जबकि गांव में 24 घंटे तक लग जाते हैं। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्र के बिजली दर बढ़ोतरी नहीं करने की मांग आयोग से किया।
स्मॉल स्केल इंडस्ट्रीज के अंजय पचरीवाल ने कहा कि बिजली व्यवस्था को छोड़ दें, एक उपभोक्ताओं को दो-दो, तीन-तीन माह में बिजली बिल आते हैं, वह भी त्रुटिपूर्ण। बेचारा वह उपभोक्ता उसे सुधारने के लिए ऑफिस का चक्कर लगाते-लगाते थक जाता है। बिजली बिल लेना निगम की जिम्मेवारी है। मगर इसके लिए उपभोक्ता परेशान रहते हैं।
लघु उद्योग भारती के अशोक तुल स्यान ने कहा कि फिक्स डिमांड चार्ज सभी तरह के उपभोक्ताओं को लागू होना चाहिए। किसी एक को छोड़ा जाना और दूसरे पर लगाना उचित नहींं है। दीपक मारू ने कहा कि जब आप फ्री में बिजली कनेक्शन नहींं देते हैं तो फिर उपभोक्ता डिपोजिट पर इंटरेस्ट देने में विलंब क्यों करते हैं। इसे तुरंत दिया जाना चाहिए। कार्यक्रम में विभिन्न क्षेत्रों से आए सदस्यों ने बिजली टैरिफ पर अपना-अपना विचार रखा। कार्यक्रम में आयोग के चेयरमैन अरविंद प्रसाद, सदस्य आरएन सिंह, सचिव एके मेहता, संचरण एमडी एवं ज्रेडा निदेशक निरंजन कुमार, चीफ इंजीनियर सुनील ठाकुर सहित कई उपस्थित थे।
बिजली वितरण निगम के एमडी राहुल पुरवार ने कहा कि अगर किसी भी विषय पर सिंगल-सिंगल नुक्स निकालेंगे तो उचित नही है। किसी भी विषय को समग्रता से समझने की जरूरत है। जब घर में खाने के लिए खाना नहीं है तो हम घर के डेकोरेशन की बातें नहीं कर सकते हैं। पहले हमें खाने की व्यवस्था करनी होगी। बिहार से अलग होने के बाद झारखंड में सबसे पहले इंफ्रास्ट्रक्चर और नेटवर्किंग सिस्टम दुरूस्त करना बड़ी चुनौती थी। जिस पर गत चार-पांच वर्षों में काम शुरू हुआ है। संथाल परगना एवं पलामू क्षेत्र में पूरी निर्भरता बिहार एवं यूपी पर थी, एक लाइन ब्रेक डाउन होने के बाद कई दिनों तक बिजली कट हो जाती थी। मगर अब व्यवस्था सुधर रही है। हर क्षेत्र में सुधार कार्यक्रम चल रहे हैं, समय तो देना ही होगा। पूरे राज्य में 375 सबस्टेशन थे, 300 नए सबस्टेशन बन रहे हैं। ग्रिड सबस्टेशन की संख्या काफी कम थी, जिसे बढ़ाकर 140 तक किया जा रहा है। बिजली आपूर्ति के लिए रांची सहित पूरे झारखंड में कई स्कीम चल रही हैं। बिजली बिल वितरण सुधार के लिए कई आईटी सेक्टर में काम शुरू हो चुके हैं। बिजली एकांउटिंग के लिए कई चीजों पर काम चल रहा है। स्कार्डा सिस्टम अप्रैल तक रांची, जमशेदपुर एवं धनबाद में शुरू हो जाएगा।
झारखंड विद्युत नियामक आयोग के चेयरमैन अरविंद प्रसाद ने अपने वक्तव्य में संकेत दिया है कि बिजली दरों में इजाफा तय है। उन्होंने कहा कि अगर एक क्षेत्र के उपभोक्ताओं को छोड़ जाएगा तो उसकी भरपाई दूसरे क्षेत्र के उपभोक्ताओं से करना होगा जो उचित नहीं होगा। आयोग यह प्रयास करेगा किसी भी उपभोक्ता पर अत्यधिक भार न पड़े। बाद में सरकार सब्सिडी देकर उपभोक्ताओं को राहत दे सकती है। इधर, आयोग के सदस्य आर एन सिंह ने कहा कि न केवल बिजली दर में बढ़ाेतरी की जाए बल्कि लोगों को क्वालिटी पूर्ण बिजली दी जाए। सेफ्टी, सिक्यूरिटी एवं नियमित बिजली बिल पर ध्यान देना जरूरी है। उन्होंने कहा कि बिजली कनेक्शन सिक्यूरिटी मनी पर इंटरेस्ट देने काम निगम को जल्द ही शुरू किया जाना चाहिए।
बैठक में रूफ टॉप सोलर टैरिफ पर चर्चा हुई। इसमें नेट मीटरिंग पर तैयार प्रस्ताव 3.80 रूपए पर सभी राय मांगी गई। इसमें बढ़ाए जाने या घटाए जाने के किसी भी बिंदू पर कोई राय नहीं आई। इसलिए अब यह तय माना जा रहा है कि रूफ टॉप सोलर बिजली नेट मीटरिंग के द्वारा बेचे जाने पर 3.80 पैसे उपभोक्तों को मिलेगा। इस पर भी आयोग बहुत जल्द ही निर्णय ले सकती है।
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