रांची. झारखंड विद्युत नियामक आयोग ने वर्ष 2019-20 के लिए नया बिजली दर घोषित कर दिया है। आयोग के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ कि प्रस्तावित दर से अधिक की मंजूरी प्रदान की है। बिजली निगम ने आयोग के समक्ष घरेलू बिजली दर 5.50 रुपए प्रति यूनिट से बढ़ाकर छह रुपए करने का प्रस्ताव दिया था। मगर आयोग ने इसे बढ़ाकर 6.25 रुपए प्रति यूनिट मंजूर किया है। आयोग ने शहरी घरेलू उपभोक्ताओं को छोड़कर सभी वर्ग के उपभोक्ताओं को राहत दी है। जबकि सारा बोझ शहरी उपभोक्ताओं पर लाद दिया। नए टैरिफ की घोषणा, आयोग के अध्यक्ष अरविंद प्रसाद एवं सदस्य तकनीकी आरएन सिंह ने गुरुवार को आयोग कार्यालय में आयोजित एक प्रेस वार्ता के दौरान की।
जारी टैरिफ के अनुसार, कुटीर उद्योग मीटरर्ड की दर 4.40 रुपए से बढ़ाकर 5.75 रुपए, रूलर मीटरर्ड 4.75 रुपए से बढ़ाकर 5.75 रुपए की गयी है। जबकि अनमिर्टड श्रेणी में कोई बढ़ोतरी नहीं की गयी है। उसी तरह शहरी उपभोक्ता का 5.50 रुपए से बढ़ाकर 6.25 रुपए किया गया है। कॉमर्शियल श्रेणी में रूलर मीटरर्ड उपभोक्ताओं की दर 5.25 रुपए से बढ़ाकर 6 रुपए, अरबन 6 रुपया से बढ़ाकर 6.25 रुपए किया गया है। कृषि क्षेत्र के उपभोक्ताओं का 5 रुपया ही रहने दिया गया है। औद्योगिक क्षेत्र के लो टेंशन उपभोक्ताओं का 5.50 से बढ़ाकर 5.75 रुपए तथा हाई टेंशन उपभोक्ताओं का 5.75 से घटाकर 5.50 रुपए कर दिया गया है। ओवरऑल 17 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गयी है।
आयोग ने कहा कि पहले 4 किलोवाट तक के ही उपभोक्ता घेरलू श्रेणी में आते थे। मगर अब इसे बढ़ाकर 5 किलोवाट किया जा रहा है। इससे घर में चलने वाले कुटीर उद्योग जैसे आटा मिल, ब्यूटी पार्लर, सैलून, कोल्हू तेल मिल सहित अन्य छोटे-छोटे घरेलू उद्योग को सीधा फायदा होगा। अब चूंकि ये घरेलू श्रेणी में आ गए इसलिए सब्सिडी का लाभ ऐसे उपभोक्ताओं को भी मिलेगा।
आयोग ने जो बिजली दर जारी किया है, वह इंडस्ट्रीयल और कॉमर्शियल फ्रेंडली है। वर्तमान में इंडस्ट्रीयल कटेगरी में हाई टेंशन में 5.75 रुपए प्रति यूनिट की चार्ज से दर देना पड़ रहा है। नई दर में इसे घटा कर 5.50 रुपए प्रति यूनिट कर दिया गया है। वहीं, घरेलू दर के लिए वितरण निगम मे छह रुपए प्रति यूनिट का प्रस्ताव दिया था, जिसे बढ़ाकर 6.25 रुपए प्रति यूनिट कर दिया है। इसके पीछे नियामक आयोग के अध्यक्ष ने तर्क दिया कि वितरण निगम ने ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के लिए एक दर का प्रस्ताव दिया था, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में बिजली आपूर्ति सही नहीं होने के कारण शहरी क्षेत्र के दर में वृद्धि की गई है। इसमें पावर परचेज कॉस्ट भी देखा गया है।
आयोग ने शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में एक दर होने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया। आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि चैरिटेबल संस्थाओं को घरेलू दर से भुगतान करना होगा। घरेलू लाइन से उपभोक्ता पांच किलोवाट तक का लोड लेकर छोटे व्यवसाय कर सकते हैं। इसके लिये उन्हें अलग से मीटर नहीं लगाना होगा। बिजली की गुणवत्ता व आपूर्ति के लिये वितरण निगम को इंडेक्स बनाना होगा। जिसे तीन महीने में वे जारी करेंगे। इससे बिजली की गुणवत्ताव आपूर्ति का पता चलेगा।
आयोग के अध्यक्ष ने बताया कि सरकार उपभोक्ताओं की सब्सिडी के लिये 2000 करोड़ रुपए का प्रावधान कर सकती है। पिछली बार 1040 करोड़ रुपए सब्सिडी के लिये प्रावधान किया गया था। इसमें 750 करोड़ से कम ही राशि सब्सिडी के लिये ले पाये। आयोग के अध्यक्ष ने यह भी कहा कि ज्यादा पैसा लगे पर क्वालिटी युक्त बिजली मिले। बिजली चोरी रोकने के लिये वितरण निगम को वेब पर आधारित एप्लिकेशन डेवलप करने का निर्देश दिया। कर्मियों और उपभोक्ताओं की सुरक्षा के सेफ्टी के मानक को अपनाने को कहा है। साथ ही वितरण निगम को जून तक शत-प्रतिशत मीटरिंग करने को भी कहा है। रुफ टॉप सोलर प्लांट लगा कर बिजली बेचने पर ग्रॉस मीटरिंग पर 4.16 रुपए प्रति यूनिट और नेट मीटरिंग पर 3.80 रुपए प्रति यूनिट की दर से चार्ज मिलेगा।
नई बिजली दर लागू होने के बावजूद वितरण निगम का 1211.02 करोड़ का घाटा बना रहेगा। झारखंड राज्य बिजली वितरण निगम ने 8375.24 करोड़ रुपए का प्रस्ताव दिया था। इसके एवज में झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग ने 7164.22 करोड़ रुपए की ही स्वीकृति दी। पिछले साल आयोग ने 5973.46 करोड़ रुपए की ही स्वीकृति दी थी। वहीं, वित्तीय वर्ष 2019-20 में वितरण निगम का रेवेन्यू गैप 692.70 करोड़ का बना रहेगा। आयोग के अध्यक्ष ने बताया कि बिजली खरीद पर प्रति यूनिट 6.32 रुपए प्रति यूनिट का खर्च आता है।
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