रांची. आयुष्मान भारत योजना में भरती महिला मरीज का परिवार रिम्स के कार्डियोलॉजी विभाग के डॉक्टरों के कारण कर्ज में डूब गया। डॉक्टरों की लापरवाही के कारण महिला को आयुष्मान कार्ड होने के बाद भी ऑपरेशन पर 90 हजार खर्च करने पड़े। चतरा के खैरा गांव की रहने वाली रेशमी देवी 2 फरवरी को इलाज के लिए रिम्स में भरती हुई। डॉक्टरों ने जांच के बाद 4 फरवरी को कार्डियोलॉजी विभाग में भेज दिया। यहां वह डॉ. प्रकाश कुमार की यूनिट में भरती हुईं। डॉक्टरों ने जांच के बाद बताया कि उसे पेसमेकर लगाया जाना है। लेकिन, पेसमेकर लगाने के लिए बार-बार समय आगे बढ़ाया जाता रहा। जब भी मरीज के परिजन पूछते तो बताया जाता कि आयुष्मान का सामान नहीं आया है।
परिजनों ने पूछा कि क्या मरीज का ऑपरेशन आयुष्मान भारत योजना से हो पाएगा या नहीं? डॉक्टरों ने कहा कि जब तक आयुष्मान भारत योजना से सामान नहीं आएगा तब तक इलाज नहीं हो पाएगा। परिजन चिंतित हो गए। तब डॉक्टरों ने सलाह दी कि पहले यहां से छुट्टी करा लो और फिर से अगले दिन रिम्स में भरती हो जाओ अौर अपने पैसे से इलाज करा लो। परिजनों के पास कोई रास्ता नहीं था। रेशमी देवी के परिजनों ने छुट्टी कराई और फिर दोबारा डॉ. प्रवीण कुमार के अंडर में भरती हुईं। इस बार आयुष्मान भारत योजना से भरती नहीं दिखाई गई। 15 फरवरी को रेशमी देवी का इलाज हुआ। इस पर 90 हजार रुपए खर्च हुए। कार्डियोलॉजी के डॉक्टरों के कारण ही रेशमी देवी के परिजन कर्ज में डूब गए। डॉ. प्रकाश कुमार से बात की गई तो उन्होंने कहा कि वे सीएम जनसंवाद में जवाब दे चुके हैं। आप वहीं से पता कर लीजिए।
मेयर आशा लकड़ा गुरुवार को मरीजों की शिकायत के बाद जांच के लिए रिम्स में संचालित रेडियोलॉजी हेल्थ मैप पहुंचीं। यहां तैनात गार्डों ने मेयर का नहीं पहचाना और उन्हें जांच करने से रोक दिया। इसके बाद मेयर काफी नाराज हुई और हेल्थ मैप के अधिकारियों और कर्मचारियों को डांट लगाई। दरअसल, गुमला की रहने वाली मरीज बच्चन देवी की शिकायत पर मेयर अपनी टीम के साथ रैन बसेरा स्थित हेल्थ मैप पहुंची थी। मरीज ने शिकायत की थी कि पैसा लेने के बावजूद उसे दो दिन से सीटी स्कैन के लिए टाला जा रहा है। लेकिन, वहां तैनात गार्ड ने उन्हें नहीं पहचाना और अंदर जाने से रोक दिया। इसी बात पर वह नाराज हो गईं। उन्होंने हेल्थ मैप के अधिकारियों को बुलाकर मरीजों की जांच में की जा रही देरी को लेकर फटकार लगाई। उसके बाद मेयर ने डायरेक्टर डॉ. डीके सिंह को भी इसकी जानकारी दी। जिसके बाद डायरेक्टर ने हेल्थ मैप के अधिकारी को बुलाकर मरीज का सीटी स्कैन करने का निर्देश दिया।
आयुष्मान योजना के तहत भरती मरीज से पैसे लिए जाने के मामले में नोटिस होने के बाद रानी हॉस्पिटल ने मरीज को पैसा लौटा दिया है। हॉस्पिटल की ओर से मरीज के परिजनों को 2.10 लाख का चेक गुरुवार को सौंप दिया गया। इससे पहले 26 फरवरी को स्वास्थ्य विभाग ने आयुष्मान भारत योजना में गड़बड़ी के मामले में रानी हॉस्पिटल को मरीज का 2.10 लाख रुपया सात दिन में लौटाने का निर्देश दिया था। रानी हॉस्पिटल में बच्चे का इलाज कराने आई महिला शुभद्रा देवी ने प्रधानमंत्री को शिकायत की थी। इसमें उसने कहा है कि इलाज के लिए उसके बच्चे को छह जनवरी और फिर पांच फरवरी को भरती किया गया। उससे इलाज के नाम पर 70 हजार रुपए लिए गए। महिला की शिकायत की जांच के बाद झारखंड स्टेट आरोग्य सोसाइटी के अपर कार्यकारी निदेशक अभिषेक श्रीवास्तव ने रानी हॉस्पिटल प्रबंधन को इलाज के नाम पर लिए 70 हजार रुपए की तीन गुणी राशि गए 2.10 लाख रुपए लौटाने को कहा। साथ ही इस मामले में स्पष्टीकरण भी देने को कहा है। ऐसा नहीं किए जाने पर अस्पताल का आयुष्मान भारत योजना के तहत किया गया निबंधन रद्द किया जा सकता है।
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