रांची. राज्य के मिडिल स्कूलों में प्रिंसिपल के कुल 3226 पद सृजित हैं। इनमें से वर्तमान में 3096 पद रिक्त हैं। वहीं सिर्फ 130 प्रिंसिपल के भरोसे प्राइमरी व मध्य विद्यालयों को संचालित किया जा रहा है। इसकी मुख्य वजह रिटायर होने के बाद प्रिंसिपल के रिक्त पदों पर नियुक्ति नहीं होना है। प्रत्येक माह प्रिंसिपल सेवानिवृत्त हो रहे हैं, लेकिन उनके स्थान पर नियुक्ति नहीं हो रही है।
राज्य में प्रिंसिपल के कुल रिक्त पदों के सिर्फ पांच प्रतिशत पद पर कार्यरत हैं। यानी मिडिल स्कूलों में प्रिंसिपल के 95 प्रतिशत पद खाली हैं। इसका सीधा असर स्कूलों के शैक्षणिक और प्रशासनिक कार्यों पर पड़ रहा है। स्थाई प्रिंसिपल की तरह प्रभारी प्रिंसिपल में आत्मविश्वास नहीं होता है। क्योंकि प्रभारी प्रिंसिपल को लगता है कि कुछ दिन के लिए ही बने हैं।
राज्य में कुल 24 जिले हैं। इनमें से सात जिलों के मध्य विद्यालयों में एक भी परमानेंट प्रिंसिपल नहीं हैं। इनमें हजारीबाग, चतरा, सरायकेला, लोहरदगा, रामगढ़, साहेबगंज और पाकुड़ शामिल हैं। वहीं, पांच जिलों के लिए सिर्फ एक स्थाई प्रधानाध्यापक हैं, जिनमें रामगढ़, कोडरमा, पश्चिमी सिंहभूम, सिमडेगा, जामताड़ा जिले शामिल हैं। इसी प्रकार पांच जिलों में पांच से भी कम परमानेंट प्रिंसिपल हैं।
राज्य में लंबे समय से शिक्षकों को प्रिंसिपल के पद पर प्रमोशन नहीं मिल रहा है। बिहार की प्रमोशन नियमावली-1993 झारखंड में लागू है। इस नियम के अनुसार, शिक्षकों को ग्रेड फोर में सात वर्ष कार्य करने का अनुभव होना चाहिए। शिक्षकों का कहना है कि यहां निर्धारित समय पर उनको प्रमोशन नहीं मिलता है। जिसके कारण कार्यरत शिक्षकों को ग्रेड फोर में रहते हुए पांच-सात साल का अनुभव नहीं है।
प्रिंसिपल नहीं रहने से शैक्षणिक के साथ विकास कार्यों पर सीधे तौर पर प्रभाव पड़ रहा है। इसके अलावा प्रत्येक माह शिक्षकों को वेतन भुगतान में भी परेशानी होती है। पहले प्रत्येक 10-15 प्राइमरी स्कूलों के लिए एक डीडीओ और मध्य विद्यालय के परमानेंट प्रिंसिपल होते थे। परमानेंट प्रिंसिपल नहीं होने पर अब प्रत्येक प्रखंड में एक डीडीओ के माध्यम से कार्य चलाया जा रहा है। प्रिंसिपल पद पर प्रमोशन या नई नियुक्ति से ही इस समस्या का समाधान हो सकता है।
अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ ने कहा है कि 93 प्रतिशत रिक्तियां शिक्षकों को प्रमोशन देकर भरी जा सकती हैं। संघ के अध्यक्ष बृजेंद्र चौबे और महासचिव राममूर्ति ठाकुर ने कहा कि प्रोन्नति नियमावली-1993 में संशोधन करने के बाद 13 वर्षों की सेवा पूरी करने वाले शिक्षकों को प्रिंसिपल के पद प्रमोशन देना एक मात्र विकल्प है। इससे प्रिंसिपल की कमी के चलते हो रही समस्याओं का समाधान स्वत: हो जाएगा।
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