{content: राजभवन के पास धरने पर बैटी आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका।
सिटी रिपोर्टर | रांची
झारखंड प्रदेश आंगनबाड़ी वर्कर्स यूनियन के बैनर तले गुरुवार को राजभवन के समीप सेविका-सहायिका ने धरना दिया। सेविका- सहायिका को सरकारी कर्मचारी का दर्जा देने की मांग की गई। यूनियन ने कहा कि सरकार ने पांच जून 2018 को किए गए लिखित समझौते को 31 दिसंबर 2018 तक लागू करने की बात कही थी, लेकिन इसे अब तक लागू नहीं किया गया। यूनियन के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष बालमुकुंद सिन्हा ने बताया कि इस संबंध में महिला बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग से समझौते को लागू करने के लिए लगातार पत्राचार किया गया। लेकिन सरकार व विभाग द्वारा किसी प्रकार की सुगबुगाहट नहीं हो रही है। इसलिए झारखंड के 35,881 आंगनबाड़ी केंद्र में कार्यरत सेविका- सहायिकाओं में काफी आक्रोश है। मौके पर पम्मा मल्लाह, वीणा सिंह, सीता तिग्गा, सुमन कुमारी, रामचंद्र पासवान और रेशमा केरकेट्टा सहित सेविका- सहायिका मौजूद थीं।
केंद्र सरकार द्वारा मानदेय में वृद्धि की गई है। यूनियन के अनुसार केंद्र व राज्य सरकार के बीच व्यय भार 60:40 की घोषणा की गई। केंद्र सरकार द्वारा की गई मानदेय वृद्धि में बंटवारा करना सेविका- सहायिका के साथ नाइंसाफी है। यूनियन इसका विरोध करती है। यूनियन की मांग है कि राज्य सरकार अतिरिक्त मानदेय में अन्य राज्यों की भांति सम्मानजनक वृद्धि करे। इसके अलावा विभाग के प्रधान सचिव के साथ पांच जून 2018 को किए गए समझौते को इस कैलेंडर वर्ष में लागू करें। पांच सूत्री मांगों में आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका सरकारी कर्मचारी का दर्जा देना, समान काम का समान वेतन लागू करना, झारखंड सरकार द्वारा लिखित समझौता लागू किया जाए। आंगनबाड़ी केंद्रों में उधार पोषाहारकी खरीदारी नगद हो आदि है।
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