मेदिनीनगर. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 जनवरी को चियांकी हवाई अड्डा परिसर से मंडल डैम की आधारशिला रखेंगे, लेकिन इससे पलामू और लातेहार जिले के किसानों को कुछ ज्यादा लाभ नहीं मिलने वाला है। योजना के पूरा होने पर डैम से पलामू और लातेहार जिले को महज 25 प्रतिशत पानी ही मिलेगा। 75 प्रतिशत पानी बिहार के औरंगाबाद जिला को मिलेगा। हालांकि योजना के पूरा होने के बाद 24 मेगावाट पनबिजली का उत्पादन होगा, जो पलामू और लातेहार को मिलेगा।
मंडल डैम के साथ-साथ शुरु होने वाली चार अन्य सिंचाई योजना अभी तक अधर में है। हुसैनाबाद में काशीसोत को बांधने का कार्य शुरु हुआ लेकिन वह भी पूरा नहीं हो सका। पूर्व सिंचाई मंत्री रामचंद्र केसरी के कार्यकाल में तत्कालीन पांकी विधायक विदेश सिंह के प्रयास से अमानत नदी पर पांकी के समीप बराज का निर्माण हो गया लेकिन नहर नहीं बनने से उसकी उपयोगिता नहीं हो सकी है।
वहीं, तहले नदी पर गोपालपुर के पास बांध बनाने की योजना भी बनी। तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने योजना को स्वीकृति भी प्रदान कर दी लेकिन योजना पर राजनीति हो जाने से शिलान्यास नहीं हो सका। औरंगा नदी पर बेतला किला के समीप बांधने का कार्य अभी भी अधर में है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 जनवरी को चियांकी हवाई अड्डा परिसर से मंडल डैम की आधारशिला रखेंगे। लेकिन चुनावी साल में योजना के शिलान्यास होने से इसके पूरे होने पर संशय है। योजना के शिलान्यास होने के उपरांत टेंडर होते-होते चुनाव की अधिसूचना जारी होने की संभावना है। अगर उस चुनाव में भाजपा की सरकार नहीें बनी तो योजना का हाल असम के बोगीबिल पुल जैसा हो जाएगा।
एकीकृत बिहार में साल 1970 में एकीकृत पलामू जिले(अब लातेहार) के बरवाडीह के मंडल में कोयल नदी को बांध कर नहर बनाने की योजना बनाई गई थी। इसके 75 प्रतिशत पानी को तत्कालीन गया जिला (अब औरंगाबाद जिला) को सिंचाई के लिए भेजने का प्रावधान किया गया था। इससे पलामू जिले को महज 25 प्रतिशत पानी ही मिलता। इस पर बिहार विधानसभा में तत्कालीन डालटनगंज विधायक पूरनचंद, मनिका विधायक यमुना सिंह और भवनाथपुर विधायक लाल हेमेंद्रनाथ देहाती ने विरोध किया।
तत्कालीन मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर ने पांच सदस्यीय टीम का गठन किया गया। उसमें भीष्मनारायण सिंह को अध्यक्ष तथा दाउदनगर विधायक रामविलास यादव, डालटनंगज विधायक पूरनचंद, मनिका विधायक यमुना सिंह और भवनाथपुर विधायक लाल हेमेंद्रनाथ देहाती को सदस्य बनाया गया। टीम ने बिहार विस में प्रस्ताव दिया कि मंडल डैम से बिहार को पानी देने के एवज में औरंगा नदी पर बेतला के समीप, अमानत नदी पर पांकी के समीप, कनहर नदी पर रंका-बाराडीह के पास, तहले नदी पर गोपालपुर के पास, काशीसोत को हुसैनाबाद के पास बांध कर सिंचाई की व्यवस्था की जाए इस पर मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर ने बिहार विधानसभा में इसकी घोषणा करने और योजना को पारित करने के बाद 1973 में मंडल डैम का निर्माण कार्य प्रारंभ हुआ। उस समय योजना की लागत 300 करोड़ थी। इसके साथ ही अन्य चार योजना का भी कार्य शुरू हुआ लेकिन फंड के अभाव में कोई भी योजना पूरी नहीं हो सकी।
मंडल डैम के निर्माण में लगे इंजीनियर की हत्या के बादर से कार्य बंद कर दिया। उसके बाद से योजना ठंडा बस्ते में चला गया। बीच-बीच में मंडल डैम को लेकर आंदोलन होते रहे। इस आंदोलन की बदौलत मनिका विधानसभा से कई नेता और चतरा लोकसभा से कई नेता चुनकर क्रमश: विधानसभा और लोकसभा पहुंच गए लेकिन योजना वहीं की वहीं रही।
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