{content: रांची | गुरूवार को फार्मेसी कॉलेज चंदाघासी रांची में जयराज पब्लिकेशन के सौजन्य से रश्मि सिंह की पुस्तक \"कल, आज और कल\" का लोकार्पण हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बी सिंह, विशिष्ट अतिथि घनश्याम झा, गणेश पोद्दार, अनुराधा प्रसाद, अंकुश्री और रीना शुक्ला थे। वक्ताओं ने रश्मि सिंह की पुस्तक कल, आज और कल पर चर्चा की। मंच संचालन गणेश पोद्दार एवं धन्यवाद ज्ञापन राजेश कुमार ने किया। लोकार्पण के पश्चात कार्यक्रम में रांची शहर के कई कवियों ने प्रस्तुति देकर वाहवाही लूटी।
कार्यक्रम की शुरुआत आकांक्षा के भक्ति गीत \"एे मालिक तेरे बंदे हम, ऐसे हों हमारे करम\" से हुई। कवयित्री चेतना झा ने \"नदी को तब कहां कुछ भी पता था बेवफाई रुसवाई से थी बेखबर कुआंरे ख्वाब पर लगे थे चाहतों के पर कच्ची उम्र के अफसानों में बस समंदर\', संध्या चौधरी ने, \"प्यार है उससे बहुत वक्त लगा उसको समझाने में, रहता था जो मेरे दिल की गहराइयों में वक्त लगा जुबां से बोलने\' में। कवि एवं लोकगायक सदानंद सिंह यादव ने \"सोया भाग्य जगाने वाले कष्टों से घबराने वाले, कट जायेगी रात सुनो, पंछी मेरी बात सुनो\' सुनाया। कार्यक्रम में चित्रगुप्त सारंग, जितेन्द्र कुमार एवं गिरिजा शंकर पेरिवाल की रचना ने भी तालियां बटोरीं।
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