रांची. सुखाड़ग्रस्त क्षेत्र के लिए एडवांस प्लांनिग करें। फसल बीमा का लाभ किसानों को जल्द से जल्द मिले। हर विभाग निर्धारित समय के अंदर अपनी रिपोर्ट दें। राज्य सरकार सुखाड़ग्रस्त क्षेत्र में जो कार्य करेगी, उसका व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए ताकि किसानों को और उस क्षेत्र के नागरिकों पर सुखाड़ का प्रभाव न पड़े। मुख्यमंत्री रघुवर दास ने झारखंड मंत्रालय में राज्य में सुखाड़ की स्थिति की समीक्षा करते हुए यह निर्देश दिया।
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उन्होंने कहा- सुखाड़ग्रस्त क्षेत्र में रब्बी की फसल बीज पर सब्सिडी 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 90 प्रतिशत की जाए। आपदा प्रबंधन से तत्काल 100 करोड़ राशि विभिन्न राहत कार्यों के लिए उपलब्ध कराया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी जिलों के संभावित सुखाड़ग्रस्त क्षेत्र के चिन्हीकरण का कार्य पूरा करते हुए डीसी 10 नवम्बर तक अपनी रिपोर्ट दें। सभी विभाग सुखाड़ इलाकों में अपने विभाग द्वारा कराए जाने वाले कार्यों की योजना तथा वित्तीय मांग अगले 5 दिनों के अंदर समर्पित करेंगे। 21 नवम्बर के पहले सरकार राज्य के सुखाड़ पर एक समग्र रिपोर्ट भारत सरकार को भेजा जाना सुनिश्चित करें।
मुख्यमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि किसी भी स्थिति में सुखाड़ क्षेत्र में अनाज की कमी नहीं हो। उन्होंने कहा कि राज्य के सभी पंचायतों के मुखिया के खाते में 10 हजार रुपए भेजा जा चुका है ताकि उस पंचायत में किसी भी नागरिक को अनाज की कमी होती है या भूख की स्थिति उत्पन्न होती है तो बाजार से खरीद कर उसे अनाज उपलब्ध करा सके। राज्य की समस्त जनता को यह बात व्यापक प्रचार-प्रसार के माध्यम से जानकारी रहनी चाहिए।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसा कोई भी वृद्ध व्यक्ति जिसके पास किसी भी प्रकार का राशन कार्ड नहीं है, उसे अन्नपूर्णा योजना के तहत 10 किलो अनाज दिए जाने का प्रावधान है। जल्द से जल्द पूरे राज्य में कैम्प लगाकर इसकी जानकारी तथा अनाज उपलब्ध कराई जाए।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि जिला स्तर पर सुखाड़ नियंत्रण कक्ष स्थापित किया जाए तथा इसकी सूचना व्यापक प्रचार-प्रसार के तहत किसानों को दी जाए। किसानों द्वारा अपनी समस्या बताए जाने पर तुरत उसे कैसे राहत पहुंचाई जाए, यह सुनिश्चित कराया जाए। राज्य स्तर पर पहले से कार्यरत किसान हेल्पलाइन भी पूरी तरह कार्यरत रहे तथा किसी भी किसान को यदि पिछले वर्षों की फसल बीमा की राशि नहीं मिली हो तो वे इसकी सूचना देंगे और तत्काल उन्हें बीमा की राशि उपलब्ध कराई जाए।
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मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिया कि सुखाड़ग्रस्त घोषित होने के बाद प्रभावित क्षेत्र के किसानों से ऋण, सहकारिता ऋण, राजस्व लगान, सेस, पटवन शुल्क, विद्युत शुल्क की वसूली मार्च 2019 तक न की जाए। इसके लिए बैंकर्स की बैठक बुलाकर उन्हें भी निर्देश दी जाए। सुखाड़ प्रभावित क्षेत्रों में पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए अग्रिम योजना बनाते हुए आपदा के तहत तत्काल कार्य शुरू करें। मनरेगा के तहत प्रावधान के अनुरूप 100 दिनों के रोजगार के बदले 150 दिनों का रोजगार दिया जाए तथा कृषि विभाग द्वारा जो तालाब का निर्माण कराया जाना है वे प्राथमिकता के आधार पर इन क्षेत्रों में पहले कराया जाए। हर हाल में पशु चारा भी सुखाग्रस्त क्षेत्रों में उपलब्ध रहे एवं प्रखंड स्तर पर कैम्प लगाकर किसानों को पशु चारा उपलब्ध कराया जाए। साथ ही पशु चिकित्सा एवं दवा के लिए पंचायत स्तर पर कैम्प लगाकर कार्य करें। प्रत्येक स्वास्थ्य केन्द्र एवं उपस्वास्थ्य केन्द्र में एएनएम की उपलब्धता सुनिश्चित करें।मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि सुखाड़ क्षेत्रों के सभी गांवों में प्राथमिकता के साथ ग्राम विकास समिति और आदिवासी विकास समिति को भेजे जाने वाले 5 लाख रुपए यथाशीघ्र भेज दिए जाए। सभी विभाग एडवासं प्लांनिग करते हुए एक टाईमलाईन के तहत काम करें।
बैठक में कृषि मंत्री रणधीर सिंह ने कहा कि कृषि विभाग पूरी मुस्तैदी से सभी किसानों के हित में कार्य करेगा तथा किसानों को कोई परेशानी न हो इसका ख्याल रखेगा। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी, अपर मुख्य सचिव सह विकास आयुक्त डीके तिवारी, अपर मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, अपर मुख्य सचिव अरूण कुमार सिंह, प्रधान सचिव एसकेजी रहाटे, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव डाॅ सुनील कुमार वर्णवाल, प्रधान सचिव अविनाश कुमार, सचिव पूजा सिंघल, सचिव केके सोन, सचिव अराधना पटनायक, सचिव अमिताभ कौशल तथा विभिन्न विभागों के निदेशक एवं अन्य वरीय अधिकारी उपस्थित थे।
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