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30 Mart 2019 Cumartesi

असम-मणिपुर से आए युवा कलाकारों ने दिखाई माटी-अखोरा, भोरताल और साली डांस की झलक

{content: आर्यभट्ट सभागार में आईजीएनसीए के नॉर्थ-ईस्ट आउटरीच प्रोग्राम का अंतिम दिन

सिटी रिपोर्टर | रांची

आर्यभट्ट सभागार शनिवार को भी उत्तर पूर्व के पारंपरिक नृत्य और संगीत से गुलजार रहा। असम व मणिपुर से आए कलाकारों ने खूबसूरत प्रस्तुति ने दर्शकों को भी खूब रिझाया। यहां इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र क्षेत्रीय शाखा नॉर्थ ईस्ट, क्षेत्रीय शाखा रांची द्वारा आयोजित आउटरीच प्रोग्राम के आखरी दिन का। शुरुआत भोरताल नृत्य से हुई, जो ऊर्जा से भरपूर थी। क्षेत्रीय निदेशक उत्तर पूर्व क्षेत्रीय केंद्र डॉ. ऋचा नेगी, क्षेत्रीय निदेशक रांची डॉ. अजय कुमार मिश्रा, राकेश पांडे समेत कई दर्शक मौजूद रहे।

बच्चों ने असम की सत्त्रिया परंपरा माटी-अखोरा प्रस्तुत किया। जो भगवान कृष्ण की किवदंतियों और पौराणिक कथाओं के इर्द-गिर्द घूमता है। नृत्य में बच्चों के एक्रोबेटिक पॉश्चर और उनकी फ्लेक्सिब्लिटी देखते बन रही थी। माटी-अखोरा बुनियादी व्यायाम करने की कला हैं जो विभिन्न नृत्य कलाओं के साथ संयुक्त है। असम में यह शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य की नींव मानी जाती है। जो नर्तक बनने के लिए आवश्यक है। फिर भगवान कृष्ण को मोहित करने के लिए कलाकारों ने साली डांस प्रस्तुत किया। साली डांस सत्त्रिया का शुद्ध रूप है। जिसे फसलों की कटाई के समय में किया जाता है। बांसुरी और हारमोनियम जैसे पारंपरिक वाद्य यंत्रों ने पूरे सभागार को झंकृत कर दिया।

कलाकारों ने उत्तर-पूर्व के पारंपरिक नृत्य के जरिए स्वस्थ शरीर व मन का भी संदेश दिया।



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