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1 Ekim 2018 Pazartesi

इंटरनेशनल 12 बार खेली और 11 हार गई, जिससे निकला जीता का रास्ता

{content: तीरंदाज सिल्वर गर्ल मधुमिता कुमारी ने कहा कि इंटरनेशनल तीरंदाजी प्रतिस्पर्धा में मैंने 12 बार भाग लिया। इनमें 11 बार हार चुकी हूं। इन हार से ही जीत का रास्ता निकला है। इसलिए मेरा मानना है कि फेल से ही पास होने का मार्ग निकलता है। मैं रामगढ़ की रहने वाली हूं। सुदेश महतो और बिरसा मुंडा आर्चरी एकेडमी की चेयरमैन नेहा ने काफी मदद की। वीसी डॉ. रमेश कुमार पांडेय और प्रोवीसी डॉ. कामिनी कुमार हमेशा सपोर्ट किया। वह सोमवार को आरयू के आर्यभट्ट ऑडिटोरियम में अपने सम्मान समारोह में बोल रही थीं।

आरयू की ओर से वीसी प्रो. पांडेय ने कि मधुमिता को एक लाख रुपए का चेक और उनके मुख्य कोच प्रकाश राम को 25 हजार रुपए का चेक पुरस्कार स्वरूप प्रदान किए। वीसी ने कहा कि मधुमिता अनुमति प्रदान करे, तो रांची यूनिवर्सिटी उसे अपना ब्रांड अंबेस्डर बनाएगी।

मधुमिता को ब्रांड अंबेस्डर बनाना चाहता है आरयू

पार्ट टू का स्पेशल एग्जाम लेगा आरयू : प्रो. कामिनी

आरयू की प्रोवीसी प्रो. कामिनी ने कहा कि इंटरनेशनल तीरंदाजी प्रतिस्पर्धा में शामिल होने के कारण मधुमिता स्नातक पार्ट टू की परीक्षा में शामिल नहीं हो सकी। पूजा अवकाश के बाद मधुमिता के लिए स्पेशल एग्जाम लिया जाएगा। मौके पर एफए एस. मुखोपाध्याय, एफओ केके वर्मा, एचआरडीसी निदेशक डॉ. अशोक चौधरी, डॉ. ज्योति कुमार, सीसीडीसी गिरजशंकर प्रसाद समेत स्टूडेंट्स थे।

वीसी-प्रोवीसी स्वागत करें, उससे बड़ा सम्मान क्या होगा

मधुमिता के मुख्य कोच प्रकाश राम ने कहा कि मेडल जीतने के बाद जब रांची एयरपोर्ट पर उतरे, तो वीसी- प्रोवीसी समेत अन्य अधिकारी इंतजार कर रहे थे। इससे बड़ा सम्मान किसी भी स्टूडेंट के लिए क्या होगा। प्रतिस्पर्धा और परीक्षा की तिथि टकरा गई थी। वीसी से मधुमिता के साथ मिला था। तब वीसी ने दो टूक कहा था कि खेल पर ध्यान दें, परीक्षा बाद में हो जाएगी।



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Ranchi - इंटरनेशनल 12 बार खेली और 11 हार गई, जिससे निकला जीता का रास्ता
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